(अमेरीका में नोकरी क रहल एगो भारतीय लइकी अपनी अमेरीकी सहेली से कहतिया)
का कहतिया जी...सुनाई नाँ.....
सुनीं......
चलS सखी तोहके हम भारत घुमाईं,
भारत घुमाईं तोहके भारत देखाईं,
अपनी हम देसवा के दरसन कराईं,
चलS सखी तोहके हम भारत घुमाईं। चलS सखी तोहके हम......।
अच्छा ई मवका बा कुंभ नहवाइबि,
कुंभ नहवाइबि संघे बनारसो घुमाइबि,
दिल्ली में हम पंदरह अगस्तोदेखाइबि,
चलS सखी तोहके हम भारत घुमाईं। चलS सखी तोहके हम......।
तोहके हम अपनी घर-परिवार से मिलाइबि,
कचरस पियाइबि अउर धोंधा खिआइबि,
धोंधा खियाइबि अउर कंचा खेलाइबि,
चलS सखी तोहके हम भारत घुमाईं। चलS सखी तोहके हम......।
राम अउर किस्न से हम तोहके मिलाइबि,
तोहके मिलाइबि, गंगा-जमुनी संस्कृति देखाइबि,
गीता, रमायन, बाइबिल, कुरान पढ़ाइबि,
चलS सखी तोहके हम भारत घुमाईं। चलS सखी तोहके हम......।
सत, अहिंसा अउर ग्यान के जहां दिउवा जरेला,
जहां दिउवा जरेला, सब धरम जहाँ फले-फूलेला,
अतिथि देवो भव जहां घर-घर में गूँजेला,
चलS सखी तोहके हम उ भारत घुमाईं। चलS सखी तोहके हम......।
-प्रभाकर पांडेय