कहीं मूल जरूरत भी पूरा नइखे होत, अउर कहीं सुविधा गँजा जातानीसन। |
इ देस के दुर्भाग्य बा की हमनी जान अपना के विकसित देसन की कटेगरी में मानि के विकास आदि भी ओही अस्तर के कइल चाहतानी जाँ अउर इ भुला जा तानी जाँ की भारत में गरीब तबका के भी लोग बा, भारत में गाँव भी बाने सन, भारत एगो किरसी परधान देस ह। अरे भाई विकास कइल गलत नइखे पर डिजिटल इंडिया, बुलेट टरेन, अउर भी बहुत-कुछ, फलाना-ढेकाना आदि से जरूरी कामभी बा,अउर इआम जनता के आम जरूरतन के पूरा कइल बा। गाँवन में पानी, बिजुरी, सिछा, दवाई, खाद-बियाआदीकेउचितवेवस्था कइल जरूरी बा।बेरोजगारी से निपटले के ताक बा, महँगाई के काबू कइले पर जोर देहले के ताक बा।एक-आधगो बुलेट टरेन चली त ओ से आम अदमी के कवनो फायदा नइखे, ए से पइसा वालन के ही फयदा बा, त घुमा-फिरा के विकास जेयादेतर आम अदमी पर ना पइसा वाला अदमी पर ही केंद्रित बा। हाई-फाई अस्पताल खोलले से अच्छा बा की जवन सरकारी अस्पताल बाने सन ओहू कुल के वेवस्था ठीक होखो, सरकारी बिद्यालयन के ठीक कइल जाव, जवन टरेन आलरेडी दउड़तानी सन, ओ ही कुल के समय पर चलावल जाव अउर साफ-सफाई की साथे यात्रियन के सुविधा के ख्याल राखल जाव।कहले के मतलब इ बा की जवन सुविधा पहिले से मवजूद बा ओ के खस्ताहाल से निकाल के पटरी पर ले अइले के ताक बा ताकी आम अदमी के उ सारा सुविधा मिल सको जवन ओकरी जीवन के सुख-चैन दे सको। आम अदमी के माँग ओकरी अवस्कता पर निर्भर होला न की उ हाई-भाई लाइफ के तवज्जो देला।
ई केतना दुर्भाग्य के बाति बा की सरकार बने ले आम अदमी की ओटे से अउर काम करे ले पइसावाला अदमी खातिर।सरकार बनले की बाद सरकार अम अदमी के भूल जाले अउर छोटे अस्तर पर ही सही ओकरी दैनिक जरूरतन के पूरा कइले की बदले बड़ अस्तर पर धनिक लोग की सुख-सुविधा की परयास में लगि जाले। मजदूर, किसान आपन भागि बदले खातिर ओट करेने जबकी धनिक-मानिक लोग सरकार बनावे खातिर ओट करेला, गरीब अदमी अच्छा दिन की आसा में ओट करेला जबकी धनिक-मनिक लोग इंज्वाय की आसा में ओट करेला। खैर जवन भी होखो परसरकार केइसोचें के चाहीं की उ कवनो कंपनी ना ह जवन अपनी फायदा खातिर काम करो, उ जनता अउर देस की सेवा खातिर जनता द्वारा चुनल गइल बिया अउर ओकर पहिला काम जनता, देस के सेवा होखे के चाहीं, इंडिया के बेहतर बनवले से पहिले ओकरा भारत के दसा बदले खातिर काम करे के चाहीं।
जवन कुछ देस में चल रहल बा, ओ के देखि के अबइहे लागता कीभारत में कवनो भी पार्टी के सरकार (देस चाहें राज्य में) पाँच साल से अधिका ना चल पाई काहें की उ बड़हन स्तर पर विकास के बात करी जबकि आम अदमी के बड़ बिकास से अधिका छोट बिकास के जरूरत बा जवन ओकरी परेसानियन के कम क सके, ओ के दू जून के रोटी दे सके, ओके पिए के पानी चाहीं दूध ना, ओ के चिराग जलावे के माटी के तेल चाहीं, पंखा अउर एसी चलावे खातिर बिजुरी ना, ओके पंपुसेट, टेक्टर आदी चलावे खातिर डीजल, पेटरोल चाहीं न की रेस करे खातिर, चरपहिया पर घूमे खातिरअउरइहो सही बात बा कीकवनो भी सरकार इ करीहेंसन ना, काहें कीए से सरकार के, पारटी के, नेतन के आपन कवनो बढ़ फायदा नइखे लउकट जबकिबड़हन-बड़हन प्रोजेक्ट चलवले से ओकरी अपनन (चुनाव में पइसा देवे वालन के, कमीसन देने वालन के) के फायदा होई अउर इ हो होई की बड़ स्तर पर विकास होता। हम बड़हन बिकास की खिलाफ नइखीं पर बड़हन विकास की साथे-साथे छोट-छोट विकासन पर भी धेयान देहले के ताक बा। खालि पइसा वाला मनई के अधिका से अधिका सुविधा देहले से अच्छा बा की गरीबन जनता की सुविधा के छोटे स्तर पर ख्याल राखल जाव ना त अब जनता बराबर सरकार बदलत रही अउर अगर कवनो पार्टी के सरकार दुबारा बनि पाई त भगवाने भरोसे।सरकार के चाहीं की बड़हन-बड़हन विकास के काम करो पर छोट स्तर पर, गरीब लोग की सुविधा के पहिले प्राथमिकता देव, अगर बड़हन प्रोजेक्टन पर करोड़ों खरच करे के बा त ओ ही में से काटि के कुछ आम आदमी खातिर भी खरच करो भा ओ विकास के आम अदमी के फयदा से भी जोड़ो।
विकसित देसन के अनुकरन कइले से पहिले विकसित देस बने के परी अउर एकरा खातिर जरूरी बा की बिकास के काम जमीनी स्तर से, देस की सबसे छोटका तबका, गरीब तबका से सुरु कइल जाव। 100-200 विश्वविद्यालय, अस्पताल आदि बनवावल गलत नइखे पर जवन पहिले से बा ओकरी बेयवस्थो में तो सुधार कइले के ताक बा, जवन टरेनरेंगतानी सन4 घंटा की जगहि पर 8 घंटा लगावतानिसन ओ पर धेयान देहले के ताक बा, रेलवे के जमीन के जनता, देस की हित में लगवले के ताक बा। एसी आरामगाह बनवावल भी जरूरी बा पर आम अदमी खातिर कम दमाहे, साफ-सुथरा आरामगाह भी तो चाहीं।
हम मानतानी की बिकास हो रहल बा पर ओ बिकास के कवन फायदा बा जवन आम अदमी खातिर न होखे, सहर में रहे वाला लोगन के त ठीक बा पर गँवई जनमानस के का होई?ओ हू के साथ ले के चलीं फेर देखीं राउर छोट-छोट बिकास के जनता सर आँखन पर ली अउर जनता रउआँ के 5 का 50 सालि ले सेवा के मवका दी अउरहाँ धीरे-धीरे रउआँ उ हू करे लागबि जवन रउआँ अब्बे कइल चाहतानी यानी बड़ स्तर पर विकास, डिजिटल भारत, समृद्ध भारत, विकसित भारत। विकास क्रमबद्ध करीं, छोट अस्तर से सुरु करीं, आम मनई के भी ख्याल राखीं, जनता रउरी साथे रही। जय हिंद।जय माँ भारती।
जवन कुछ देस में चल रहल बा, ओ के देखि के अबइहे लागता कीभारत में कवनो भी पार्टी के सरकार (देस चाहें राज्य में) पाँच साल से अधिका ना चल पाई काहें की उ बड़हन स्तर पर विकास के बात करी जबकि आम अदमी के बड़ बिकास से अधिका छोट बिकास के जरूरत बा जवन ओकरी परेसानियन के कम क सके, ओ के दू जून के रोटी दे सके, ओके पिए के पानी चाहीं दूध ना, ओ के चिराग जलावे के माटी के तेल चाहीं, पंखा अउर एसी चलावे खातिर बिजुरी ना, ओके पंपुसेट, टेक्टर आदी चलावे खातिर डीजल, पेटरोल चाहीं न की रेस करे खातिर, चरपहिया पर घूमे खातिरअउरइहो सही बात बा कीकवनो भी सरकार इ करीहेंसन ना, काहें कीए से सरकार के, पारटी के, नेतन के आपन कवनो बढ़ फायदा नइखे लउकट जबकिबड़हन-बड़हन प्रोजेक्ट चलवले से ओकरी अपनन (चुनाव में पइसा देवे वालन के, कमीसन देने वालन के) के फायदा होई अउर इ हो होई की बड़ स्तर पर विकास होता। हम बड़हन बिकास की खिलाफ नइखीं पर बड़हन विकास की साथे-साथे छोट-छोट विकासन पर भी धेयान देहले के ताक बा। खालि पइसा वाला मनई के अधिका से अधिका सुविधा देहले से अच्छा बा की गरीबन जनता की सुविधा के छोटे स्तर पर ख्याल राखल जाव ना त अब जनता बराबर सरकार बदलत रही अउर अगर कवनो पार्टी के सरकार दुबारा बनि पाई त भगवाने भरोसे।सरकार के चाहीं की बड़हन-बड़हन विकास के काम करो पर छोट स्तर पर, गरीब लोग की सुविधा के पहिले प्राथमिकता देव, अगर बड़हन प्रोजेक्टन पर करोड़ों खरच करे के बा त ओ ही में से काटि के कुछ आम आदमी खातिर भी खरच करो भा ओ विकास के आम अदमी के फयदा से भी जोड़ो।
विकसित देसन के अनुकरन कइले से पहिले विकसित देस बने के परी अउर एकरा खातिर जरूरी बा की बिकास के काम जमीनी स्तर से, देस की सबसे छोटका तबका, गरीब तबका से सुरु कइल जाव। 100-200 विश्वविद्यालय, अस्पताल आदि बनवावल गलत नइखे पर जवन पहिले से बा ओकरी बेयवस्थो में तो सुधार कइले के ताक बा, जवन टरेनरेंगतानी सन4 घंटा की जगहि पर 8 घंटा लगावतानिसन ओ पर धेयान देहले के ताक बा, रेलवे के जमीन के जनता, देस की हित में लगवले के ताक बा। एसी आरामगाह बनवावल भी जरूरी बा पर आम अदमी खातिर कम दमाहे, साफ-सुथरा आरामगाह भी तो चाहीं।
हम मानतानी की बिकास हो रहल बा पर ओ बिकास के कवन फायदा बा जवन आम अदमी खातिर न होखे, सहर में रहे वाला लोगन के त ठीक बा पर गँवई जनमानस के का होई?ओ हू के साथ ले के चलीं फेर देखीं राउर छोट-छोट बिकास के जनता सर आँखन पर ली अउर जनता रउआँ के 5 का 50 सालि ले सेवा के मवका दी अउरहाँ धीरे-धीरे रउआँ उ हू करे लागबि जवन रउआँ अब्बे कइल चाहतानी यानी बड़ स्तर पर विकास, डिजिटल भारत, समृद्ध भारत, विकसित भारत। विकास क्रमबद्ध करीं, छोट अस्तर से सुरु करीं, आम मनई के भी ख्याल राखीं, जनता रउरी साथे रही। जय हिंद।जय माँ भारती।
-प्रभाकर पांडेय