ए में कवनो दुराय नइखे की माईभाखा भोजपुरी के बचावे खातिर, माई के खोवल मान-सनमान दिआवे खातिर, माई के एकरी सही जगह पर सोभित करावे खातिर केतने भोजपुरिया संस्था, लोग, नेता, अभिनेता, पतरिका आदि पुरजोर कोसिस क रहल बा। पुरजोर ए से कहतानी की लोग अपनी-अपनी हिसाब से, अपनी बलबूते लागल बा। कुछ लोग के हो सकेला की कुछ ओकर आपन सोवारथ भी होखे पर लागल त बा....पर कुछ लोग, संस्था एइसन भी बानीसन जवने के सोवारथ बस खाली माईभाखा के सनमान दिआवल बा, ओके खाली जिआवल ना, ओ के अमर बनावल बा। जे जवने असतर पर बा अपनी ओर से माई के समृद्ध करे में लागल बा पर कहीं त कुछ एइसन बा की माईभाखा उपेछित बिया....अउर एकरी उपेछा में भोजपुरिए बा.. काहें की जब हम अपनी माई-बाप के कदर ना करबि त गाँव-जवार के लोग त ना करे आई, अउर अगर हम सनमान देइब त गाँव-जवार के देबहीं के परी। भाखा होखे चाहें देस जबले ओके बोलेवाला, ओमें रहे वाला ओपर धेयान ना दिहें, केहू ना दी अउर उ उपेछित रही जाई।
अंत में एतने कहबी की भोजपुरी भाखी छेत्रन के केतने नेता, अभिनेता, दबंग लोग बा, जे खाली तनी-मनी भी मन से चाही देव त भोजपुरी अपनी सिहांसन पर सदा खातिर बिराजमान हो जाई। आज भाजप के सासन बा, केतने भोजपुरिया बाने जवन भाजप से जुड़ल बाने अउर भाजप भी चुनाव की पहिले भोजपुरी के दरजा दिआवे खातिर गंभीर रहे...फेर का भइल....पतर-सतर लिखले से कुछ ना होई अउर ना खाली सभा-समाज में इ कही देहले से की हम माईभाखा की प्रति गंभीर बानीं...कुछ करे के परी....अउर हम जाहबी की केहू भोजपुरिया अगुवाई क के इ जगी जीत लेव, जगि सफल क देव....अउर सायद इ केहू भोजपुरिया सांसद, भाजप नेता आदी के बीड़ा उठावे के चाहीं अउर हर असतर पर परयास क के माईभाखा के सुसोभित करा देबे के चाहीं.....भोजपुरिया भले खुसुर-फुसुर करो पर पर ए मुद्दा पर हम जानतानाी की सब भोजपुरिया के साथ मिली अउर अगुआ भी माईभाखा की साथे सोभित हो जइहें, भोजपुरियन की दिल में, दिमाग में, घर में, परिवार में। जय माईभाखा।
जवनेगाँ कहल गइल बा की साँस ही भगवान ह...फिर भी लोग के मंदिर में जा के ही चैन मिलेला, ओहींगा भोजपुरी सांस में होखला पर भी, आधिकारिक भाखावन के बनल मंदिरन में एगो अउर मंदिर बनवावल जरूरी बा..माईभाखा भोजपुरी के मंदिर।
ए दिसाईं हमरा माननीय मनोज तिवारीजी से बहुते-बहुत उम्मेद बा। जय माई-भाखा।
-प्रभाकर पांडेय
अंत में एतने कहबी की भोजपुरी भाखी छेत्रन के केतने नेता, अभिनेता, दबंग लोग बा, जे खाली तनी-मनी भी मन से चाही देव त भोजपुरी अपनी सिहांसन पर सदा खातिर बिराजमान हो जाई। आज भाजप के सासन बा, केतने भोजपुरिया बाने जवन भाजप से जुड़ल बाने अउर भाजप भी चुनाव की पहिले भोजपुरी के दरजा दिआवे खातिर गंभीर रहे...फेर का भइल....पतर-सतर लिखले से कुछ ना होई अउर ना खाली सभा-समाज में इ कही देहले से की हम माईभाखा की प्रति गंभीर बानीं...कुछ करे के परी....अउर हम जाहबी की केहू भोजपुरिया अगुवाई क के इ जगी जीत लेव, जगि सफल क देव....अउर सायद इ केहू भोजपुरिया सांसद, भाजप नेता आदी के बीड़ा उठावे के चाहीं अउर हर असतर पर परयास क के माईभाखा के सुसोभित करा देबे के चाहीं.....भोजपुरिया भले खुसुर-फुसुर करो पर पर ए मुद्दा पर हम जानतानाी की सब भोजपुरिया के साथ मिली अउर अगुआ भी माईभाखा की साथे सोभित हो जइहें, भोजपुरियन की दिल में, दिमाग में, घर में, परिवार में। जय माईभाखा।
जवनेगाँ कहल गइल बा की साँस ही भगवान ह...फिर भी लोग के मंदिर में जा के ही चैन मिलेला, ओहींगा भोजपुरी सांस में होखला पर भी, आधिकारिक भाखावन के बनल मंदिरन में एगो अउर मंदिर बनवावल जरूरी बा..माईभाखा भोजपुरी के मंदिर।
ए दिसाईं हमरा माननीय मनोज तिवारीजी से बहुते-बहुत उम्मेद बा। जय माई-भाखा।
-प्रभाकर पांडेय